शाम की देख के सूरत भोली
चांद सितारे करें हंसी ठिठोली
तुनक के जाती रात ने सुबह की
गरम सी धूप की पोटली खोली
किरणें बिखरी छन्न से ऐसे
केसरी रंग की गजब रंगोली
फूल खिल गए भंवरे झूमे
खाके महुआ पीपली निबोली
हवा भी जैसे हुई बावरी
बादल की जब निकली टोली
झूम झूम के इठलाई जब
धरा ने ओस की मदिरा पी ली
3 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 30 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
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वाह
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